” हर वर्ग की चुनावी चर्चा “
” हर वर्ग की चुनावी चर्चा ”
पशु पक्षी जानवर सभी छोटे बड़ों ने सजाई है चौपाल
लगे हैं आज सभी अपनी ढपली अपना राग अलापने
देखें जहां वहां पर सिर्फ नेताजी का घूमता काफिला
क्योंकि हर तरफ चुनावी चर्चा का ही फैला माहौल है,
पंद्रह बीस चिड़िया आ बैठी जीप लाइन के तारों पर
चू चू चू चू बस सुन रहा है उनका चू चू चू चू का स्वर
बीजेपी, कांग्रेस अलाप रहा है कोई तो कोई बसपा
आर एल पी, जे जे पी कोई निर्दलीय का दीवाना है,
दस मीटर दूर एक कबूतर बैठा चुपचाप सा देख रहा
उसकी जात बिरादरी अलग तो पंचायत में जगह नहीं
सुन सकता है लेकिन चर्चा में शामिल नहीं हो सकता
जातिगत जनगणना ने माहौल ही ऐसा बना दिया है,
अचानक से झोंका आया हवा का तो तार हिल गया
एकदम से चर्चा थम गई और सभी चले अपने रास्ते
लेक कॉटेज के सामने रानू रोमी अपनी चर्चा में व्यस्त
चारों ओर सिर्फ भागा दौड़ी ही बस नजर आ रही है,
कोयल दिखी तो चुग्गा बिस्किट का डाल दिया राज ने
ये क्या बहुमत प्राप्त कोयल ने बुलबुल को भगाया
लगता है राजनीति का चस्का लग गया है इनको भी
हर कोई बहुमत के नशे में मदमस्त हुआ घूम रहा है,
गोते खाते बतख भी शामिल होना चाहते चर्चा में तो
थल चर से अलग बिरादरी तो नामुमकिन सा ये लगे
झुरमुट बने बहुमत में घुस जाएं कहां बेचारों की हिम्मत
नर तो नर जलचर भी चुनावी चर्चा में मशगूल आज है,
प्रभात में उठते ही कॉटेज से बाहर आए जब राज मीनू
तीन कुत्ते दौड़े दौड़े पास आकर लुटमुटाने लगे पैरों में
उ उ उ उ का राग अलापते जैसे हमें बता रहें हो कि
वोट मांगने हमारे गांव में आज नेताजी पधारे हुए हैं,
पुरातन काल से सुना हमने मुर्गा प्रभात में जगाता है
आश्चर्य हुआ जब सुबह नौ बजे मुर्गे ने तेज बांग दी
चुनावी मुर्गा रात को वोट मांगता इसलिए लेट उठता
असर इस चुनाव का आजकल मुर्गे पर भी गहराया है,
इन सबसे अलग दिखा पूनिया को मोटा सा मकोड़ा
घूम रहा था सबसे अलग थलग अपनी ही धुन में वो
अरे अब पता चला इसे चुनावी बुखार नहीं हुआ है,
उसी जगह मीनू बैठी है जो चर्चा में तो शामिल नहीं
ना ही वो नेताजी की वोट गिनती में शामिल हुई है
फैला हुआ दिखाई दे रहा चारों ओर चुनाव का भूत
मीनू इस चुनावी माहौल की साक्ष्य जरूरी बनी हुई है।