हर वक़्त सही है , गर ईमान सही है ,
हर वक़्त सही है , गर ईमान सही है ,
नेक रास्तों पर , होना बदनाम सही है l
राही छाया तलाशता , गर्मी के सफ़र में
मंदिर हो या मस्जिद , उसे हर छांव सही है ।
पाँव के छाले नहीं देखे, चलने वाले ने ,
मिलने की आस में तो, हर बात सही है l
ख़ुशी से वो मर जाता गर यकीं होता ,
आपके यहां आने की अफ़वाह सही है ।।
डा. राजीव “सागरी”