हर रोज
हर रोज एक पन्ना पलट लेता हूँ
और जिन्दगी के मायने समझ लेता हूँ
ये रोज बदल लेती है अपना लिबास
आँखों में भर देती है इक नया खाब
इन खाबों में दुनियां ढूँढ लेता हूँ
अक्सर रातों को जगा करता हूँ
नींदे सजाती हैं खाब मेरे
इन खाबों में इतिहास बना लेता हूँ
रंग बिरंगी है दुनियां इसी उधेड़बुन बुन में
जिन्दगी में रंग भरा करता हूँ
हर रोज एक पन्ना पलट लेता हूँ
और जिन्दगी के मायने समझ लेता हूँ
ये रोज बदल लेती है अपना लिबास
आँखों में भर देती है इक नया खाब