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20 Jun 2024 · 1 min read

हर रोज़ तुम्हारा पता पूछते उन गलियों में चला जाता हूं

हर रोज़ तुम्हारा पता पूछते उन गलियों में चला जाता हूं
क्या पता कब मोहब्बत में अपना भी ठिकाना मिल जाए

©️ डॉ. शशांक शर्मा “रईस”

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