हर रिश्तों से बड़ा, पिता
हर रिश्तों से बड़ा ,हर वादों से उपर
जो बंधन हैं ,जो करवा हैं, इंसानों की
उन सब में ‘पिता’ का नाता अनुपम हैं
पिता शब्द,हर शब्दों से उत्तम हैं
पिता दूर रहकर भी हमारे दुःख-सुख जान जाते हैं
पिता हमारे लिए औरों से भी लड़ जाते हैं
पिता शब्द केवल शब्द नहीं, संतानों के पूरा हिस्सा हैं
पिता हमारे, हमारे लिए जैसे भी हों, सर्वोत्तम हैं।।
नीतू साह
हुसेना बंगरा, सीवान-बिहार