हर रात की “स्याही” एक सराय है
जिंदगी क्या है ,
बस नज़र – नज़र का फ़र्क है
जब भी कोई दर्द हमे छुआ है
तो बस तस्सली दे देते हैं
अपने जेहन को
इस “जिन्दा” रहने के सफ़र में
हर रात की “स्याही” एक सराय है
और “सब्र” – जीने का है इम्तिहान
पांव के छाले , ना देखें अगर,
और शामिल हों इस “सफ़र” में –
जियें जी भर के तो सब है हासिल –
नहीं तो सब धुंआ है !!