हर युग में श्री राम
मुखौटा पहनने से ही कोई
राम या काेई रावण नहीं होता
सच में लोग वही है काटता
जो हमेशा ही बोता।
हर चेहरे के पीछे राम और रावण
हमेशा से ही छिपा होता है
जरुरत है कि आदमी दोनों में से
किस एक को जगा पाता है।
रावण का अगर सच में
खत्म करना ही हो काम
तो निश्चित ही बनना होगा
हर युग में हमेशा श्रीराम।
अपने माता पिता की
आँखों का तारा
सभी भाईयों में
हो सबसे न्यारा।
जिसने अपने पितरों का
किया हो मन से तर्पण
सभी के लिये हो दिल में
पूरी निष्ठा और समर्पण।
सुग्रीव के कष्ट को जो
लेता है मन ही मन जान
और बाली की हत्या का भी
जिन्हें हो पूरा पूरा ज्ञान।
पिता की जिद के आगे
जो हो जाये निरुत्तर
और केवट के तर्कों का भी
जिनके पास हो उत्तर।
भक्त के बुलाने पर कभी
जो करे न तनिक भी देर
मीठे लगे अन्तर्मन तक
जिन्हें शबरी के जूठे बेर।
एक ही आदेश में जो
वन गमन की करे तैयारी
निषाद राजा की निश्छल मैत्री
जिन्हें हो जान से प्यारी।
भूल से भी कभी न हो
अपनी वीरता का आन
बानरों की सेना में भी
एकदम जो फूंक दे जान।
जिनकी सादगी और गंभीरता
हो उनका विरल पहचान
सही अर्थ में वही है
हर युग में श्रीराम।
जिस दिन श्रीराम का बल
जिनको मिल जाएगा
मनुष्य का इस लोक में
जीवन सफल हो जाएगा।