हर युग में जय जय कार
सुंदर छवि श्री राम की, रग रग में श्री राम।
राम नाम पल पल भजूं, बोलो जय श्री राम।।
धनुष बाण है हाथ में, कंधे पर तूणीर ।
बैठे प्रभु श्री राम जी, दशरथ नन्दन वीर।।
जब जब धरती पर बढ़े, अधर्म अत्याचार ।
हरने भू से पाप को, लेते हरि अवतार।।
त्रेता में श्री राम ने, किए असुर संहार।
साधु संत में हर्ष था, हुई खूब जय कार।।
शबरी मां के प्रेम से, झूठे खाए बैर।
मात पिता के वचन पर, घूमे नंगे पैर।।
कैसे मैं बखान करूं,महिमा अपरम्पार।
मेरे प्रभु श्री राम की, हर युग में जय कार।।