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14 Nov 2018 · 1 min read

हर माँ को सलाम…

जाने कैसे जीते हैं अभागे, जिनकी माँ नहीं होती
माँ ग़मे-ज़िंदगी में बोलो, कहाँ-कहाँ नहीं होती

माँ से ही तो होती हैं, सारी ज़िंदगी में रौनकें
कोई भी ऐसा मकाम़ नहीं, माँ जहाँ नहीं होती

फ़कत ईंट पत्थरों की इमारतें घर नहीं होतीं
माँ के बिना घर में कभी कोई जाँ नहीं होती

जिंदगी है इक ग़ज़ल, माँ उसकी है मौसिक़ी
बच्चों की खुशी पर कौन माँ कुर्बां नहीं होती

दुनियाँ की हर माँ को झुक कर मेरा सलाम
उसके बिना कोई हस्ती-ए-दुनियाँ नहीं होती..

ममता कालरा
मेरठ

Language: Hindi
9 Likes · 11 Comments · 419 Views
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