हर बार तुम्हारी ममता
मां के लिए-
हर बार तुम्हारी ममता, हर बार तुम्हारी आंखें।
रहतीं बेचैन हमेशा , हर बार राह ही ताकें।
हर बार तुम्हारी ममता, हर बार तुम्हारी आंखें।
तेरे पल्लू को पाकर, मैंने पाई है कितनी मस्ती।
तेरे स्नेह के पट से ,मैंने पाई है अपनी हस्ती।
गर कोई मुसीबत आए, रक्खा है तुमने बचाके।
हर बार तुम्हारी ममता, हर बार तुम्हारी आंखें।
तुमसे है मेरा जीवन ,जो महका है ये तन मन।
तुमने ही दिखाए रस्ते, और मन ये हुआ हूं चन्दन।
पाला है तुमने मुझको सीने से सदा लगाके।
हर बार तुम्हारी ममता, हर बार तुम्हारी आंखें।
– सिद्धार्थ पांडेय