हर पंक्ति में मुस्कुरा जाऊ, ऐसे कविताएं देखें मैंने
कितने रंगीन लेख देखें मैंने
कोई न देखता
ऐसे मंजर देखें मैंने
अब कदर ही कहा हैं
कविताओं की,
क्योंकि लोगों को
गानें सुनते देखें मैंने
किसी में स्वभाव
तो किसी में चरित्र देखें मैंने
तन-मन से लिखी
बहूतों विचित्र देखें मैंने
लोग न देखें तो क्या हुआ
हर पंक्ति में मुस्कुरा जाऊ,
ऐसे कविताएं देखें मैंने
कण-कण की भाँति,
शब्दों को देखें मैंने
शब्दों को चुन-चुन कर ,
थोड़ा सा लिखें मैंने
जो हिंदी को समझते हैं
उन्हें ही मतलब हैं
वरना सब को शब्दों से,
दूर हटते देखें मैंने
सारी बेवसी को,
दोहें में झिलमिलाते देखें मैंने
गज़ल गीतिका से खुद को
खिलखिलाते देखें मैंने
लोगों की बातों को छोड़
कविता कैसी भी हो
हर पंक्ति में मुस्कुरा जाऊ,
ऐसे कविताएं देखें मैंने
लेखकों की दूनिया में
खुद को भी देखा मैंने
शब्दों को तोड़ मरोर कर
लिखना सीखा मैंने
ख्वाब तो बड़े-बड़े,
सजायें थे मगर
लोगों के सामने खुद को,
झुकता देखा मैंने
किसी पे व्यंग हो,
या किसी की कहानी देखें मैंने
हर किसी की राहों की,
कठिनाई देखें मैंने
महान कवियों की कविताओं में
हर पंक्ति में मुस्कुरा जाऊ,
ऐसे कविताएं देखें मैंने
स्वरचित
‘शेखर सागर’