हर नज़र शिकारी।
हर नज़र शिकारी है तुम बचाना अपने आपको।
बोलनें सुननें से पहले समझ लेना सारी बात को।।1।।
यह तो कारवां है आते-जाते अन्ज़ान लोगो का।
हमसफर ना बना लेना यूँ हर किसी के साथ को।।2।।
कहाँ मिलते है ताज अब यूँ अच्छे रूह के लोग।
हर नज़र ही घूरती है यहां पर हुस्न ए शबाब को।।3।।
तेरी ये आदत है यूँ ही सबसे मिलने मिलाने की।
लोग ग़लत समझते है यहां पर खुले मिज़ाज को।।4।।
ये सारी महफिलें है दौलतमंदो की कोठियों की।
इज़्ज़त मिलती है यहां अमीरों की औकात को।।5।।
बनावटी चेहरे है जाना ना इनके हाव-भाव पर।
बेचा-खरीदा जाता है यहां इंसानी ज़ज़्बात को।।6।।
नशे का सुरूर है हर कोई लगेगा तुझे यूँ अपना।
ऐसे ही मुंह ना लगालेना किसी भी मेहमान को।।7।।
अक़ीदा ना करना किसी भी खुश मिज़ाजी पर।
शैतान बनते देर ना लगती है यहाँ के इंसान को।।8।।
लूटने के बाद गिला शिकवा यहां पे ना होता है।
कोई भी ना सुनेगा तेरी किसी भी फरियाद को।।9।।
बुरा ना मानना तुम मेरे इस तरह से बताने को।
मेरा तो फ़र्ज़ था बस बताना हर सही बात को।।10।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ