हर नया दिन
हर नया दिन, हमेशा,
अतीत के अनुभवों से
सम्मोहित पुष्पों के प्रतिबिंब सा,
प्रकृति की गोद में मुस्कराते हुए,
नये अनवरत, अनगिनत, अनछुए
अवसरों की प्रस्तावना लिए,
सुहावने भविष्य के झरोखे से
आशाओं की धूप बन कर
हमारे समक्ष आता है
परंतु हम उसे केवल और केवल
तभी अनुभव कर पाते हैं
जब हम हमारी
दौडती भागती ज़िन्दगी को
पल भर के लिए विश्राम देते हैं
और इस स्वाभाविक
प्रकृति का आनंद लेते हैं
जो हमारे आस-पास
अपार भव्यता,
असीम सौंदर्य और
अथाह संपन्नता के साथ
हर पल हर क्षण
अवतरित हो रहा होता है
~ नितिन कुलकर्णी “छीण”