हर दिल में एक रावण
हर दिल में एक रावण होता है,
जो अलग-अलग रूप में प्रकट होता है।
गुस्सा, अभिमान, स्वार्थ, भय, निष्ठुरता, और
अन्य सभी नकारात्मक भावनाएँ एवं विचार
हमारे मन के अंदर के रावण हैं,
जो सच्चाई के मार्ग से दूर करते हैं
और रास्ता भटकाते है।
हमें अपने अंदर के इस रावण को हराना चाहिए।
लेकिन, इसके लिए सर्वप्रथम
उसकी पहचान करनी अति आवश्यक है।
क्यूंकि जब तक हम अपने अंदर के
रावण को पहचान नहीं लेते,
तब तक हम उसे हरा नहीं सकते।
जब हम अपने अंदर के रावण को
हराकर नष्ट कर देते हैं,
तब सत्य की शक्ति जागृत होती है,
प्रेम, करुणा, और आध्यात्मिक विकास
की प्राप्ति होती है।
तब हम एक नई राह पर कदम रखते हैं,
और अपने जीवन को नए सिरे से जीते हैं।
— सुमन मीना (अदिति)
लेखिका एवं साहित्यकार