हर दिन मातृदिवस हो जाये
सबसे पहले भारत की सीमाओं में और भारत की सीमाओं से परे
विश्व की सभी माताओं को
सर्वप्रथम सादर चरण स्पर्श उनके श्रीचरणों में अर्पित करता हूँ
उनके चरणों की आशीष का तिलक अपने माथे पर लगाता हूँ
और अब अपनी असली औकात में आता हूँ
मातृदिवस की असीम शुभकामनाएं
आप सभी को
आप सभी की माँ आपको चिर यशस्वी होने का वरदान दे
प्रारंभ मुझ से करें
आखिर वरदान किसे नहीं चाहिए?
पर सबको मिलता नहीं
खुद को आंच में जलाना होता है
आप सभी जानते हैं कि मैं थोड़ा बहुत लिख लेता हूँ
ऊबड़ खाबड़
मेरी माँ ने कभी नहीं कहा कि मेरे बारे में लिखो
इससे बड़ा सच कि संसार का कोई भी व्यक्ति माँ पर लिख भी नहीं सकता
जितना लिखे उतना कम
मैंने भी सूरज को दीपक दिखाने का काम किया है
और माँ पर लिखा
उसका ऋण है मुझ पर
जिसे मैं मर कर भी चुका नहीं सकता
केवल नौ महीने की बात नहीं है
उसने तो हर महीने, हर घड़ी, हर पल मेरा ख्याल रखा है
और आज भी रखती है
शायद मातृत्व और वात्सल्य के धर्म का पालन करती हो
मैं नहीं जानता हूँ
मैं तो ये जानता हूँ कि वो मेरी माँ है
बस माँ,हाँ मेरी माँ
एक सवाल मेरे मन में अटका
कि मैंने अपनी माँ की सेवा कितनी की?
उसने जो मेरी सेवा की थी
उसका कितना अंश है?कितना प्रतिशत है?
यकीन मानिए आपके सामने आंकड़ा है
00.01%
ठीक से01%भी नहीं हो पाया
और मैं नहीं बहुत सारे लोग भी ऐसे ही होंगे
मुझे लोगों से लेना नहीं है
मुझे तो लोगों को देना है
अपने विचार, अपनी सोच, अपनी कल्पना, अपनी प्रेरणा
हो सकता है कुछ लोग कहें
हमारा इससे ज्यादा प्रतिशत है
आपके ईमानदारी को मेरा सलाम
पर साहब माँ की सेवा के सामने
हमारी सेवा कुछ नहीं, जरा सी भी नहीं, एक जर्रा भी नहीं
जो अनमोल है
अमूल्य है
अतुलनीय है
अमापनीय है
फिर आपने कैसे माप लिया?कैसे आंकलन किया?
यहाँ पर अपराध मेरे से हुआ है
जो मैंने00.01%का आंकड़ा आपको दिखाया
लेकिन आंकड़ा नहीं दिखाता तो
आप इस निष्कर्ष पर पहुंच ही नहीं पाते
मेरी ये सोची समझी साजिश थी
आपको फसाने के लिए नहीं
सच बताने के लिए
वो भी एकदम अकाट्य वाला
आज मातृदिवस है बोलकर माँ का
अपमान ना करें
दिवस को विशेष नहीं बनायें
हर दिन को मातृदिवस बना दें
365दिन अगर माँ पूजी जायेगी
तो धरती स्वर्ग हो जायेगी
कहते हैं माँ के पैरों में जन्नत होती है
पर मेरा मानना है
जहाँ माँ के पैर पड़ते हैं वहाँ से जन्नत शुरू होती है
किसी ने कहा
भगवान हर जगह नहीं है
इसलिए उसने माँ को बनाया
एक बात बताइये
मीरा बाई और तुलसी दास को छोड़कर किसने भगवान देखा है?
किसी ने नहीं
मैं दावे के साथ बोलता हूँ
सब ने भगवान देखा है
पर पहचान नहीं पाये
अरे अंधभक्तों
वही आपकी माँ
और कोई नहीं
भगवान है
साक्षात भगवान दिखाई दिया
कि अभी भी आंखें बंद हैं
इन्हीं आंखों को खोलने आया था
मेरा मकसद पूरा हुआ
और अभी भी आंखें नहीं खुली तो
आइ स्पेसलिस्ट से चेकअप करा लेना
शायद तुम्हारी इस बीमारी का ईलाज हो सके
भगवान आपकी रक्षा करे
मेरे सिर्फ लिख देने से
आपके सिर्फ पढ़ लेने से
आपके फोटो डाल देने से
अच्छे अच्छे कमेंट्स कर देने से
लाइक कर देने से
शेयर कर देने से
सब्सक्राइब कर देने से
बेल आइकॉन दबा देने से
कभी भी माँ की सेवा नहीं हो सकती है
बिन कहे और बिन दिखाये
माँ की सेवा करें
कृपा वहीं अटकी है आनी शुरू हो जायेगी
माँ तेरी सदा जय हो
अपने लाल,पिले,हरे, गुलाबी, नारंगी
को सद्बुद्धि दे
तेरी सेवा करें
दिखावा नहीं
ढोंग नहीं
एक बात अंत में हमारी तीन माँ है
एक जन्मदायिनी-माँ
एक पोषणदायिनी-गौ माता
एक जीवनदायिनी-धरती माता
तीनों का सम्मान और सेवा निष्कपट भावना से करें
आज के लिए इतना आग काफी है
आदित्य हूँ मेरा काम जलाना ही है
मैं भी अपने धर्म का पालन कर रहा हूँ
पूर्णतः मौलिक स्वरचित सृजन की असीम अलख
आग और अलाव के साथ
आदित्य कुमार भारती
टेंगनमाड़ा, बिलासपुर, छ.ग.