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15 May 2021 · 1 min read

हर तरफ दर्द का समंदर है!

हर तरफ दर्द का समंदर है!
मौत बाहर तो भूख अंदर है!

चाहे जाओ जिधर वही मंजर,
हर तरफ कातिलों का् खंजर है!

कोई लगता नहीं बड़ा छोटा,
बच गया वो हि बस सिकंदर है!

जिंदगी लग रही कठिन क्यों है,
है जमीं वो हि वो हि अंबर है!

लग रहा है उलट पलट जैसा,
जून में लग रहा सितंबर है!

ये वबा है कि जलजला यारो,
जो कि थमता नहीं बवंडर है!

छोड़ मत आश का् दामन प्रेमी,
आयेगा रब तो अब कहाँ डर है!

…… ✍ प्रेमी

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