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14 Apr 2017 · 1 min read

हर तमन्ना अज़ाब लगती है

जिन्दगी अब खराब लगती है
बिन तुम्हारे अज़ाब लगती है

करके सोलह सिंगार आए तो
परी वो लाज़वाब लगती है

चाल मस्ती की चाँद सा चेहरा
चश्मे जानाँ शराब लगती है

टूट कर दिल ने ये कहा अब तो
हर तमन्ना —— अज़ाब लगती है

गौर से देख उसको बोतल सी
बंद कुह्ना शराब लगती है

जब भी देखा उसे मुहब्बत से
मेरा खाना ख़राब लगती है

बात हाँ की कहाँ है “प्रीतम” की
तेरी न लाज़वाब लगती है

??? प्रीतम राठौर ???
??श्रावस्ती (उ० प्र०)??
????

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