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29 May 2024 · 1 min read

हर जमीं का आसमां होता है।

हर जमीं का आसमां होता है।
परेशानी में क्यूं परेशां होता है।।

दर्दे दिल्लगी है कैसे छुपाओगे।
ये तो खुद ब खुद बयां होता है।।

वो न थे नसीब में तो न मिले।
दिल तू क्यूं खामो खां रोता है।।

फितरत कहां दिखती है नज़रों से।
अक्सर हंसने वाला तन्हा होता है।।

आशिकी ए यार में रब दिखता है।
जब इश्क दिल में जवां होता है।।

ऐसे कैसे बदनाम हो गए तुम यूं ही।
बिना आग के कहां धुंआ होता है।।

ताज मोहम्मद
लखनऊ

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