हर जमीं का आसमां होता है।
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हर जमीं का आसमां होता है।
परेशानी में क्यूं परेशां होता है।।
दर्दे दिल्लगी है कैसे छुपाओगे।
ये तो खुद ब खुद बयां होता है।।
वो न थे नसीब में तो न मिले।
दिल तू क्यूं खामो खां रोता है।।
फितरत कहां दिखती है नज़रों से।
अक्सर हंसने वाला तन्हा होता है।।
आशिकी ए यार में रब दिखता है।
जब इश्क दिल में जवां होता है।।
ऐसे कैसे बदनाम हो गए तुम यूं ही।
बिना आग के कहां धुंआ होता है।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ