Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
9 Sep 2024 · 1 min read

हर चीज से वीरान मैं अब श्मशान बन गया हूँ,

हर चीज से वीरान मैं अब श्मशान बन गया हूँ,
गमों को अब मैं अपने अंदर दफनाने लगा हूँ |

1 Like · 84 Views

You may also like these posts

छन्द गीतिका
छन्द गीतिका
Ashwani Kumar
कर्म ही है श्रेष्ठ
कर्म ही है श्रेष्ठ
Sandeep Pande
स्वयं से परीक्षा
स्वयं से परीक्षा
Saurabh Agarwal
दुकान मे बैठने का मज़ा
दुकान मे बैठने का मज़ा
Vansh Agarwal
3344.⚘ *पूर्णिका* ⚘
3344.⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
गम खास होते हैं
गम खास होते हैं
ruby kumari
ग़ज़ल- हूॅं अगर मैं रूह तो पैकर तुम्हीं हो...
ग़ज़ल- हूॅं अगर मैं रूह तो पैकर तुम्हीं हो...
अरविन्द राजपूत 'कल्प'
मेरा भारत महान
मेरा भारत महान
Sudhir srivastava
"साम","दाम","दंड" व् “भेद" की व्यथा
Dr. Harvinder Singh Bakshi
फिलहाल अंधभक्त धीरे धीरे अपनी संस्कृति ख़ो रहे है
फिलहाल अंधभक्त धीरे धीरे अपनी संस्कृति ख़ो रहे है
शेखर सिंह
दोहे सप्तक . . . . . सच-झूठ
दोहे सप्तक . . . . . सच-झूठ
sushil sarna
*जाते साधक ध्यान में (कुंडलिया)*
*जाते साधक ध्यान में (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
बारिश पर तीन कविताएं /©मुसाफिर बैठा
बारिश पर तीन कविताएं /©मुसाफिर बैठा
Dr MusafiR BaithA
बेबाक ज़िन्दगी
बेबाक ज़िन्दगी
Neelam Sharma
उपासना के निहितार्थ
उपासना के निहितार्थ
डा. सूर्यनारायण पाण्डेय
#चाहत छमछम छमछम बरसूं
#चाहत छमछम छमछम बरसूं
वेदप्रकाश लाम्बा लाम्बा जी
शर्मनाक हरकत
शर्मनाक हरकत
OM PRAKASH MEENA
"इस दुनिया में"
Dr. Kishan tandon kranti
कविता _ रंग बरसेंगे
कविता _ रंग बरसेंगे
Manu Vashistha
एक ख़्वाब सी रही
एक ख़्वाब सी रही
Dr fauzia Naseem shad
🙅पता चल गया?🙅
🙅पता चल गया?🙅
*प्रणय*
वो मुझे प्यार नही करता
वो मुझे प्यार नही करता
Swami Ganganiya
छोड़ दो
छोड़ दो
Pratibha Pandey
सारी जिंदगी की मुहब्बत का सिला.
सारी जिंदगी की मुहब्बत का सिला.
shabina. Naaz
- हकीकत तो जान लेती -
- हकीकत तो जान लेती -
bharat gehlot
मैने वक्त को कहा
मैने वक्त को कहा
हिमांशु Kulshrestha
संघर्षों की एक कथाः लोककवि रामचरन गुप्त +इंजीनियर अशोक कुमार गुप्त [ पुत्र ]
संघर्षों की एक कथाः लोककवि रामचरन गुप्त +इंजीनियर अशोक कुमार गुप्त [ पुत्र ]
कवि रमेशराज
जब तू मिलती है
जब तू मिलती है
gurudeenverma198
ग़ज़ल
ग़ज़ल
आर.एस. 'प्रीतम'
जिसे हम हद से ज्यादा चाहते है या अहमियत देते है वहीं हमें फा
जिसे हम हद से ज्यादा चाहते है या अहमियत देते है वहीं हमें फा
रुपेश कुमार
Loading...