हर खुशी को नजर लग गई है।
बात तो थी झूठी फिर भी असर कर गई है।
जिन्दगी की हर खुशी को नजर लग गई है।।1।।
झूठ ने हर सच्चाई को कब से दबा रखा है।
घर की दीवारें लगे जैसे कफस बन गई है।।2।।
बारिश की बूंदो ने जर्रे जर्रे को भिगोया है।
गुलशन की हर कली खुद में महक गई है।।3।।
वादा करके भी तू क्यूं लौटकर ना आया है।
तेरे दीदार को ये प्यासी आंखे तरस गई है।।4।।
बहारो के बदलने से हर परिंदा उड़ चला है।
खिजाके मौसम में जां हर शजर की गई है।।5।।
तेरे दूर जानें से जिंदगी मुझसे खफा हुई है।
जिंदा तो है पर रूह मेरी कबकी मर गई है।।6।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ