Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
29 May 2022 · 1 min read

हर ख़्वाब झूठा है।

हर गम दिल में समा गया है।
जबसे वो कहकर बेवफा गया है।।1।।

यूं हमने भी ना रोका उसको।
अकीदा करके दिल मेरा टूटा है।।2।।

झूठी हैं उसकी सब ही बातें।
इश्क में देखा हर ख़्वाब झूठा है।।3।।

ये लगती बड़ी हसीन है पर।
मोहब्बत दिलों का बस धोखा है।।4।।

दिल तोड़के जाना है जाओ।
तुम्हें जानें से कहां हमने रोका है।।5।।

कहीं शिफा ना मिलेगी तुम्हें।
वक्त ही इश्के बीमारी की दवा है।।6।।

ताज मोहम्मद
लखनऊ

1 Like · 2 Comments · 313 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Taj Mohammad
View all

You may also like these posts

"चुनौती का दर्शन"
Dr. Kishan tandon kranti
होली गीत
होली गीत
संजीव शुक्ल 'सचिन'
भाग्य
भाग्य
लक्ष्मी सिंह
जिंदगी क्या है?
जिंदगी क्या है?
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
अक्षर ज्ञान नहीं है बल्कि उस अक्षर का को सही जगह पर उपयोग कर
अक्षर ज्ञान नहीं है बल्कि उस अक्षर का को सही जगह पर उपयोग कर
Rj Anand Prajapati
शुभ दिवस
शुभ दिवस
*प्रणय*
निरोध
निरोध
Rambali Mishra
चाटिये
चाटिये
Kunal Kanth
मत फैला तू हाथ अब उसके सामने
मत फैला तू हाथ अब उसके सामने
gurudeenverma198
कागज कोरा, बेरंग तस्वीर
कागज कोरा, बेरंग तस्वीर
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
दोस्ती कर लें चलो हम।
दोस्ती कर लें चलो हम।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
आ अब लौट चलें.....!
आ अब लौट चलें.....!
VEDANTA PATEL
लघुकथाएं
लघुकथाएं
ashok dard
बीज अंकुरित अवश्य होगा (सत्य की खोज)
बीज अंकुरित अवश्य होगा (सत्य की खोज)
VINOD CHAUHAN
हमने माना अभी
हमने माना अभी
Dr fauzia Naseem shad
समय की धारा
समय की धारा
Neerja Sharma
"भँडारे मेँ मिलन" हास्य रचना
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
बारिश ने बरस कर फिर गुलशन को बदल डाला ,
बारिश ने बरस कर फिर गुलशन को बदल डाला ,
Neelofar Khan
सलाह के सौ शब्दों से
सलाह के सौ शब्दों से
Ranjeet kumar patre
अक्सर देखते हैं हम...
अक्सर देखते हैं हम...
Ajit Kumar "Karn"
सत्यानाशी सोच जिमि,खड़ी फसल पर मेह .
सत्यानाशी सोच जिमि,खड़ी फसल पर मेह .
RAMESH SHARMA
Cyclone Situation
Cyclone Situation
Otteri Selvakumar
फेसबुक ग्रूपों से कुछ मन उचट गया है परिमल
फेसबुक ग्रूपों से कुछ मन उचट गया है परिमल
DrLakshman Jha Parimal
रक्षाबंधन
रक्षाबंधन
SATPAL CHAUHAN
सामंजस्य हमसे बिठाओगे कैसे
सामंजस्य हमसे बिठाओगे कैसे
डॉ. एकान्त नेगी
- मुझको बचपन लौटा दो -
- मुझको बचपन लौटा दो -
bharat gehlot
*परिमल पंचपदी--- नवीन विधा*
*परिमल पंचपदी--- नवीन विधा*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
2908.*पूर्णिका*
2908.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
इंसान बुरा बनने को मजबूर हो जाता है
इंसान बुरा बनने को मजबूर हो जाता है
jogendar Singh
*वो जो दिल के पास है*
*वो जो दिल के पास है*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
Loading...