हर ख़ार …
हर ख़ार …
हर ख़ार तेरी राह का पलकों से उठा लेने दे
हर अश्क तेरी चश्म का हाथों पे सजा लेने दे
तू हयात है मेरी तुझे ग़मगीन भला देखूं कैसे
तेरा हर ग़म मुझे इन पलकों में छुपा लेने दे
सुशील सरना
हर ख़ार …
हर ख़ार तेरी राह का पलकों से उठा लेने दे
हर अश्क तेरी चश्म का हाथों पे सजा लेने दे
तू हयात है मेरी तुझे ग़मगीन भला देखूं कैसे
तेरा हर ग़म मुझे इन पलकों में छुपा लेने दे
सुशील सरना