हर खबर दिल के मैं अखबार को दे देती हूँ
हर खबर दिल के मैं अखबार को दे देती हूँ
रात दिन यादों के बाज़ार को दे देती हूँ
पार करना हमें हर हाल में भवसागर को
काम ये वक़्त की पतवार को दे देती हूँ
वक़्त कैसा भी हो रुकता न, गुजर जाता है
कह के कुछ आस मैं बीमार को दे देती हूं
मैं छुपा लेती हूं आँसू नहीं बहने देती
मुस्कुराकर के विदा यार को दे देती हूँ
खुशबुओं का सिला देती हूँ अगर फूलों को
तो चुभन की भी वजह खार को दे देती हूँ
टूटकर भी नहीं मैं टूटने देती खुद को
हौसला जीतने का हार को दे देती हूँ
है न कीमत कोई दौलत की मेरी नज़रों में
मैं जगह ‘अर्चना’ वो प्यार को दे देती हूँ
06-08-2020
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद