हर कोई बेवफा नहीं होता
दिल से जो आशना नहीं होता
उसको खुद का पता नहीं होता
आपने की है कोई गुस्ताख़ी
बेवजा वो खफ़ा नहीं होता
उसने शिकवा भी किया होता गर
हमको कोई गिला नहीं होता
यूँ ही गर न कुरदते रहते
घाव मेरा हरा नहीं होता
थाम लेते जो मेरे हाथों को
मैं अभी भी मरा नहीं होता
यूँ तो मजबूरियाँ हैं सबकी मगर
हर कोई बेवफा नहीं होता