हर कोई दुख को छिपाकर हँसता है,
हर कोई दुख को छिपाकर हँसता है,
हर कोई खुद को छिपाकर हँसता है.!
यही आधा अधूरा जीवन है दोस्तों,
इंसान अकेले में रोता है भीड़ में हँसता है.!!
तुझे देखकर मैं हँस भी नहीं सकता,
तुझे देखकर मैं रो भी नहीं सकता.!
ये कैसी अजीब कास्मोकश है वक्त की,
मरा हुआ हूँ अंदर से मगर बाहर से दिख नहीं सकता.!!
पास आए तो गले से चिपक कर,
गलाभर रो लू तुझसे.!
तू पास आता है,
मगर तू वो नहीं होता.!!