Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 May 2023 · 1 min read

हर कोई दुख को छिपाकर हँसता है,

हर कोई दुख को छिपाकर हँसता है,
हर कोई खुद को छिपाकर हँसता है.!
यही आधा अधूरा जीवन है दोस्तों,
इंसान अकेले में रोता है भीड़ में हँसता है.!!

तुझे देखकर मैं हँस भी नहीं सकता,
तुझे देखकर मैं रो भी नहीं सकता.!
ये कैसी अजीब कास्मोकश है वक्त की,
मरा हुआ हूँ अंदर से मगर बाहर से दिख नहीं सकता.!!

पास आए तो गले से चिपक कर,
गलाभर रो लू तुझसे.!
तू पास आता है,
मगर तू वो नहीं होता.!!

Language: Hindi
1 Like · 211 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
View all
You may also like:
निरुद्देश्य जीवन भी कोई जीवन होता है ।
निरुद्देश्य जीवन भी कोई जीवन होता है ।
ओनिका सेतिया 'अनु '
बेटी एक स्वर्ग परी सी
बेटी एक स्वर्ग परी सी
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
To be Invincible,
To be Invincible,
Dhriti Mishra
बेपर्दा लोगों में भी पर्दा होता है बिल्कुल वैसे ही, जैसे हया
बेपर्दा लोगों में भी पर्दा होता है बिल्कुल वैसे ही, जैसे हया
Sanjay ' शून्य'
शांत सा जीवन
शांत सा जीवन
Dr fauzia Naseem shad
झुक कर दोगे मान तो,
झुक कर दोगे मान तो,
sushil sarna
#justareminderekabodhbalak
#justareminderekabodhbalak
DR ARUN KUMAR SHASTRI
#ग़ज़ल
#ग़ज़ल
*Author प्रणय प्रभात*
गुमनाम ज़िन्दगी
गुमनाम ज़िन्दगी
Santosh Shrivastava
मन डूब गया
मन डूब गया
Kshma Urmila
सुनो प्रियमणि!....
सुनो प्रियमणि!....
Santosh Soni
चार दिन की ज़िंदगी
चार दिन की ज़िंदगी
कार्तिक नितिन शर्मा
तेरी तस्वीर को लफ़्ज़ों से संवारा मैंने ।
तेरी तस्वीर को लफ़्ज़ों से संवारा मैंने ।
Phool gufran
गर्मी आई
गर्मी आई
Manu Vashistha
दृढ़ निश्चय
दृढ़ निश्चय
RAKESH RAKESH
कातिल
कातिल
Dr. Kishan tandon kranti
चुनिंदा बाल कहानियाँ (पुस्तक, बाल कहानी संग्रह)
चुनिंदा बाल कहानियाँ (पुस्तक, बाल कहानी संग्रह)
Dr. Pradeep Kumar Sharma
सब की नकल की जा सकती है,
सब की नकल की जा सकती है,
Shubham Pandey (S P)
आजावो माँ घर,लौटकर तुम
आजावो माँ घर,लौटकर तुम
gurudeenverma198
प्रकृति की ओर
प्रकृति की ओर
जगदीश लववंशी
हम रहें आजाद
हम रहें आजाद
surenderpal vaidya
यशोधरा के प्रश्न गौतम बुद्ध से
यशोधरा के प्रश्न गौतम बुद्ध से
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
Sometimes you have to
Sometimes you have to
Prachi Verma
सुनो
सुनो
पूर्वार्थ
.....
.....
शेखर सिंह
हाथ की लकीरों में फ़क़ीरी लिखी है वो कहते थे हमें
हाथ की लकीरों में फ़क़ीरी लिखी है वो कहते थे हमें
VINOD CHAUHAN
मंजिल तक पहुँचने के लिए
मंजिल तक पहुँचने के लिए
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
2672.*पूर्णिका*
2672.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
हो सकता है कि अपनी खुशी के लिए कभी कभी कुछ प्राप्त करने की ज
हो सकता है कि अपनी खुशी के लिए कभी कभी कुछ प्राप्त करने की ज
Paras Nath Jha
मानवता
मानवता
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
Loading...