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29 Dec 2020 · 1 min read

हर कोई खुद से ही तंग है

हर कोई खुद से ही तंग है
मेरी भी मुझसे ही जंग है

तन टूटा-सा है भीतर से
पर मन बाहर सबके संग है

अब तन्हाई के इस रंज में
ग़म का एक नया ही रंग है

आँसू मुस्कान में छिपते रहे
यूँ पीने का अपना ढंग है

कपड़े तन को ढाँपे हैं पर
मन आदम युग से ही नंग है

2 Likes · 4 Comments · 201 Views
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