हर किसी में अदबो-लिहाज़ ना होता है।
हर किसी में अदबो-लिहाज़ ना होता है।
काफिर कहां खुदा को खुदा समझता है।।1।।
ये शर्मों हया सीरत जिंदगी का गहना है।
नंगेपन में बना इंसा फैशन का नमूना है।।2।।
हर दिल अजीज़ है सभी से ये कहना है।
चार दिनों की जिन्दगी फिर तो मरना है।।3।।
अपना ही घर बस सुकूं के लिए होता है।
दूसरों के घर इंसा मेहमानों सा रहता है।।4।।
ये जिन्दगी खुशी गम का इक तराना है।
चाहो ना चाहो सबको ही गुनगुनाना है।।5।।
क्यों इतनी लग्जिश है कदमों में तुम्हारे।
बड़ा लम्बा रास्ता है ऐसे ना थको प्यारे।।6।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ