*हर किसी को नही मिलती*
हर किसी को नही मिलती
हर एक दर्द की दवा हर किसी हकीम के पास नही मिलती,,
हर खिली कली बाग की सिर्फ भवरों के लिए नही खिलती।।
कुछ चमन की बहार को भी जररूत होती उसकी महक की,,
हर तरफ उड़े इतनी भी उसकी मदहोश लहर नही चलती।।
यू तो जमाना भी बहुत लुत्फ़दार है अपने हर पल के लिये,,
पर हर तितली अपनी खूबसूरत बगिया से नही निकलती।।
चलो दुनियां के दस्तूर खुद समझकर तो कोई बात भी बने,,
अरमान संजोकर रखो हर वक़्त सिर्फ वक़्त की नही चलती।
मनु जब माने तुझे अपना ही हमसफ़र तो कोई बात होगी,,
ऐसे ही महकती हुई बादियो की गली से गली नही मिलती।।
मानक लाल मनु