हर कंकर में तुम हो, हर पत्थर” में तुम हो। हो काशी में तुम ही,मानसरोवर में तुम हो…
________जय शिव:
______________
हर “कंकर” में तुम हो, हर “पत्थर” में तुम हो
हो “काशी” में तुम ही,”मानसरोवर” में तुम हो
तुम्हारी महिमा का “भोले”, क्या वखान लिखूं
सोंच रहा हूँ तुमको मन की “सुंदर तान” लिखूं
हर “भक्ति” में तुम हो, हर “शक्ति” में तुम हो
हो दिल में तुम ही,मनकी हर तृप्ति में तुम हो
हे शंकर त्रिपुरारी,तुमको “गौरापति” महान लिखूं
मिलें ‘शब्द’ मुझे,तो मैं भी तुम्हारा गुणगान लिखूं
हो काल महाकाल,बजरंगी के अवतारी तुम हो
हो तुम ही “रक्षक” जग के, ‘पालनहारी’ तुम हो
“कैलासी” लिखूं तुम्हे, या ‘अमरनाथ धाम’ लिखूं
हे कण कण के वासी,तुम्हे सौ सौ मैं प्रणाम लिखूं
(“महाशिवरात्रि” पर्व पर लिखी पंक्तियाँ )
By…..
…………. Suneel Rathore
MEERGANJ BAREILLY
…………..
…………………………