‘हर एक’
हर रात के पश्चात अवश्य ही उजाला होता है….
हर किसी का कोई न कोई चाहने वाला होता है….
हर किसी को किसी न किसी ने पाला होता है….
हर चाबी का कोई न कोई एक ताला होता है….
हर गली में कोई न कोई बहता नाला होता है….
हर कौने में कभी न कभी लगता जाला होता है….
हर दाल मे कोई न कोई डाला मसाला होता है…..