हर तरफ़ रंज है, आलाम है, तन्हाई है
कल "धनतेरस" पर घोर मंहगाई के बाद भी मैंने "सोने" की पांच चीज़
ज़िन्दगी गुज़रने लगी है अब तो किश्तों पर साहब,
बह्र ## 2122 2122 2122 212 फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलुन काफिया ## आ रदीफ़ ## कुछ और है
मेरी प्यारी सासू मां, मैं बहुत खुशनसीब हूं, जो मैंने मां के
मुझे ख़्वाब क्यों खलने लगे,
गुफ़्तगू आज चारों तरफ हो रही,
घनाक्षरी छंदों के नाम , विधान ,सउदाहरण
ये उम्र भर का मुसाफ़त है, दिल बड़ा रखना,
संगीत में मरते हुए को भी जीवित करने की क्षमता होती है।
वर्तमान साहित्यिक कालखंड को क्या नाम दूँ.
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
लेकिन वतन तू जिन्दाबाद रहे
कभी निशाना चूकता नहीं।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
आप काम करते हैं ये महत्वपूर्ण नहीं है, आप काम करने वक्त कितन