हर इंसान वो रिश्ता खोता ही है,
हर इंसान वो रिश्ता खोता ही है,
कोई पहले तो कोई बाद में किसी अपने के लिए रोता ही है
लेकिन ये अहसास तब होता है जब बात ख़ुद पर आती है
और तब उस इंसान की तकलीफ़ का शायद समझ आती है।
हर इंसान वो रिश्ता खोता ही है,
कोई पहले तो कोई बाद में किसी अपने के लिए रोता ही है
लेकिन ये अहसास तब होता है जब बात ख़ुद पर आती है
और तब उस इंसान की तकलीफ़ का शायद समझ आती है।