हर आदमी की चाह है फूली फली सी हो।
ग़ज़ल
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हर आदमी की चाह है फूली फली सी हो।
मेरी जो जिन्दगी है तेरी जिन्दगी सी हो।
कैसे कहें कि दोनों तड़पते हैं प्यार में,
दोनों के प्यार में भी तो इक तिश्नगी सी हो।
मै भी बता दूं प्यार तुम्हें कहते हैं किसे,
सच्चा है वो ही प्यार जो इक बंदगी सी हो।
मर मर के जी रहे हो भला इसका फायदा,
खुश होके जीले यार कि जिंदादिली सी हो।
हम दूर शभी रहें तो सदा इस तरह रहें,
प्रेमी मिलें तो दिल में भी इक गुदगुदी सी हो।
…….✍️ प्रेमी