हर अदा उनकी सच्ची हुनर था बहुत।
हर अदा उनकी सच्ची हुनर था बहुत।
रोज़ कितने ही नाटक दिखाते रहे।।
फंस रहे ऐसा मुमकिन लगा ही नहीं ।
रोज़ जाले में अपने फंसाते रहे ।।
जो भी चाहा कहा हमने वो ही किया।
जिम्मेदारी मिली जो निभाते रहे।।
बक्स दी जिंदगी बस यही शुक्र है ।
हर अदाओं में जीवन लुटाते रहे।।
झूँठी कसमों से महफ़िल सजाते रहे।
गम का साथी प्रखर हूं बताते रहे।।