हरे हैं ज़ख़्म सारे सब्र थोड़ा और कर ले दिल
हरे हैं ज़ख़्म सारे सब्र थोड़ा और कर ले दिल
हवा-ए-हिज्र ने कुछ ख़ुश्क पत्ते ही उतारे हैं
मीनाक्षी मासूम
hare hain zakhm saare sabr thoda aur kar le dil
hawa-e-hijr ne kuchh khushk patte hi utaare hain
– Meenakshi Masoom