हरे कृष्णा
अधर बांसुरी अति शोभित
अनुपम सुंदर छवि जग मोहित
कुंचित केश ज्यों भ्रमर पुञ्ज
साजित रूप मधुर निकुञ्ज
गोपाल कृष्ण जग दुख हारी
वसुधा की पूर्ण विपति टारी
देवकी सुअन यशुदा नंदन
पद कमल नाथ शत शत वंदन
हे असुर निकंदन गिरधारी
जय कृष्ण मुरारी असुरारी
त्रिलोक पति यश सिंधु अगम
सुखधाम नाम प्रभु नेति निगम
राधावर जय श्री कृष्ण चंद
सब भगतन हित आनंद कंद
कलि काल मति जन की मारी
अब दया करो पर उपकारी