हरी दरस को प्यासे हैं नयन…
हरी दरस को प्यासे हैं नयन…
आजीवन करूं मैं बस राधे कृष्ण का सुमिरन।।
कृष्ण तो हैं अपरिभाषित, क्या करूं मैं वर्णन…
मोक्ष मिल जाए, जब हो जाए अलौकिक दिव्य परमात्मा के दर्शन।।।।
– ज्योति खारी
हरी दरस को प्यासे हैं नयन…
आजीवन करूं मैं बस राधे कृष्ण का सुमिरन।।
कृष्ण तो हैं अपरिभाषित, क्या करूं मैं वर्णन…
मोक्ष मिल जाए, जब हो जाए अलौकिक दिव्य परमात्मा के दर्शन।।।।
– ज्योति खारी