हरि (कृष्ण) स्मरण
(1)
हरियाली हरी की कृपा, यदि चाहो चहुँ ओर।
भजिए हरी को अहर्निश, बिना कसर बिंन कोर॥
बिना कसर बिंन कोर, काम सब चलाने दीजे ।
जहां दिखे अवरोध, ध्यान कृष्णा का कीजे ।
जीवन है अविराम, समय ना मिलता खाली ।
काढ़ो कुछ तो समय, देखने को हरियाली ॥
(2)
याली यानी याद कर, सत, चित, शिव स्वरूप ।
आगे हर बढ़ता कदम, पड़े ध्येय अनुरूप ॥
पड़े ध्येय अनुरूप, पग पग मिले सफलता।
कर्म दोष सब काटें, दूर हों सभी विषमता ।
ज्योति रूप परमात्म, विश्व बगिया का माली।
मन में रख संतोष, भजें हरि की हरियाली ॥