#हरिहर मेरे राम जी
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★ #हरिहर मेरे राम जी ★
ओ३म् ! जगत के स्वामी प्रभु जी
हरिहर मेरे राम जी
मीठा फल पावे जो कोई ध्यावे
सुबह-दोपहर और शाम जी
ओ३म् ! जगत के स्वामी प्रभु जी . . . . . !
पेड़ों में सब जीवों में तू
नर में तू तू ही नारी में
सागर में तू पर्वत पर तू
वन में तू तू ही फुलवारी में
ओ३म् ! जगत के स्वामी प्रभु जी . . . . . !
एक तेरा नाम साँचा
दूजा न कोई और है
चरण-कमल पर झूमता
मेरे मन का भौर है
ओ३म् ! जगत के स्वामी प्रभु जी . . . . . !
चुप में तू सुख-दु:ख में तू
कानों में तेरा शोर है
तुझसे है रात सुहावनी
तुझसे ही मीठी भोर है
ओ३म् ! जगत के स्वामी प्रभु जी . . . . . !
तेरी महिमा तू ही जाने
मुझसे कहा कुछ जावे न
जिह्वा देखे आँखें बोलें
कोई समझ कुछ पावे न
ओ३म् ! जगत के स्वामी प्रभु जी . . . . . !
संत कहें हनुमंत कहें
सुन लो होकर पास रे
कलह-क्लेश न टिकते उस घर
जिस मन में तेरा वास रे
ओ३म् ! जगत के स्वामी प्रभु जी . . . . . !
तेरी सुनूँ बस तुझे निहारूँ
होऊँ तेरे चरणों की धूल मैं
शीश चढ़ूँ तेरे पाँव पड़ूँ
तेरी बगिया का फूल मैं
ओ३म् ! जगत के स्वामी प्रभु जी . . . . . !
तेरी दया का दाता मेरे
ओर है न छोर है
उड़ूँ मैं ऊँचे और ऊँचे
जब तक सांसों की डोर है
ओ३म् ! जगत के स्वामी प्रभु जी . . . . . !
जय-पराजय तेरी इच्छा
मेरी न कोई साध रहे
पुण्य-प्रताप सब अर्पण तेरे
मेरा न कुछ अपराध रहे
ओ३म् ! जगत के स्वामी प्रभु जी . . . . . !
न मैं विधि पूजा की जानूँ
न मैं जानूँ मांगना
कृपाओं से मेरी झोली भर दे
जग देखे भाग्य का जागना
ओ३म् ! जगत के स्वामी प्रभु जी . . . . . !
#वेदप्रकाश लाम्बा
यमुनानगर (हरियाणा)
९४६६०-१७३१२