हरियाली तीज
माँ क्यों ना पंखा आज चला, अर क्यू मम्मी गर्मी लगी l
ना आई निंदिया मुझे, ना तुम खेलन तीज गई ll
सूरज से गर्मी तपी, बादल सूखे उमड़ रहे l
कहीं कहीं बौछार गिरी, बाकी सारे उमस रहे ll
बिन बरखा नदियां सूखी, बिजली घर सब ठप्प हुए l
कैसे अब पंखे चले, बिन बिजली हुए पस्त ll
कभी जो आंधी थी चली, वो हवा नही है बदं l
उमस बराबर बढ़ रही, हुई हरियली तीज भंग ll
पवन चला दो हे मेरे मौला, थोड़ी सी राहत मिले l
नभ मे मेघा छा जाये, तो हरियली तीज मने ll
ना धरती सूखी, ना फिर नभ तपे, हो मौसम में बदलाव l
प्यास बुझेगी सब जीवो की, भर जाएंगे जल तालाब ll