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13 Jun 2020 · 1 min read

हरियाणवी गीत

**** हरियाणवी गीत ****
********************

गोरडी घनी सुथरी लागे सै
चाँद की चाँदनी सी लागे सै
गजब का रूप ,ना कोई ठूर
बरस रही बदली सी लागे सै
1
ढ़ूंगे लटके काली सी चोटी
देखण आला खावै ना रोटी
रंग की गोरी, रूप की कटोरी
बैरण घायल करदी चाले सै
2
ठोडी पै रै काला काला तिल
काबू में आवे ना म्हारा दिल
नजर कंटीली रै आँख नशीली
दिन में तारें दिखाती चालै सै
3
गजब का यौवन सै रै निराला
जनू भरया जहर का रै प्याला
हुस्न पटारी, फूलां की क्यारी
नागण सी बलखाती चालै सै
4
मटकनी चाल सै रै मरवावे
छोरयां के तन में आग लगावै
गात की पतली,हवा में उड़ती
सुखविन्द्र हंसती हुई चालै सै

गोरडी घनी सुथरी लागै सै
चाँद की चाँदनी सी लागे सै
गजब का रूप , ना कोई ठूर
बरस रही बदली सी लागै सै
***********************

सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ु राओ वाली (कैथल)

Language: Hindi
Tag: गीत
1 Comment · 273 Views
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