Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
6 Sep 2024 · 1 min read

***हरितालिका तीज***

सोलह श्रृंगार आज ही करके
शिव गौरा को खूब सजायें
निर्जल निराहार व्रत धरके
हरितालिका तीज मनायें

व्रतों में व्रतराज कहलाता
हर नारी के मन को भाता
सुंदर हाथ मेहंदी लगाना
चूडियों से कलाई सजाना

भांग धतूरा बेलपत्र भस्मी
महादेव के तन पे रमाना
दूध,दही,इत्र, पुष्प चढ़ाके
संग गौरा को भोग लगाना

दिनभर पूजन अर्चना करके
साँझ को निज व्रतकथा बांचना
करना पाँच पहर पूजा विनती
यही व्रत पूजन विधान रीति

रात भर होते है जगराते
शिव गौरा भजन सब गाते
हॄदय में उल्लास जगायें
आओ सखियों तीज मनायें

कुँवारी मनचाहा वर पाती
विधवा शिवलोक को जाती
सुहागिन करे सुहाग भावना
पूर्ण होती सबकी कामना

✍”कविता चौहान”
स्वरचित एवं मौलिक

71 Views

You may also like these posts

जगमग दीप जले
जगमग दीप जले
Sudhir srivastava
तुम्हारी आँखें...।
तुम्हारी आँखें...।
Awadhesh Kumar Singh
हौसला न हर हिम्मत से काम ले
हौसला न हर हिम्मत से काम ले
Dr. Shakreen Sageer
..
..
*प्रणय*
*चुनावी कुंडलिया*
*चुनावी कुंडलिया*
Ravi Prakash
🥀 *गुरु चरणों की धूल*🥀
🥀 *गुरु चरणों की धूल*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
सामाजिकता
सामाजिकता
Punam Pande
मां की आँखों में हीरे चमकते हैं,
मां की आँखों में हीरे चमकते हैं,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
तू ठहर जा मेरे पास, सिर्फ आज की रात
तू ठहर जा मेरे पास, सिर्फ आज की रात
gurudeenverma198
जन कल्याण कारिणी
जन कल्याण कारिणी
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
अनुभव 💐🙏🙏
अनुभव 💐🙏🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
तेरी उल्फत के वो नज़ारे हमने भी बहुत देखें हैं,
तेरी उल्फत के वो नज़ारे हमने भी बहुत देखें हैं,
manjula chauhan
"समय प्रबन्धन"
Dr. Kishan tandon kranti
त्राहि नाद
त्राहि नाद
कुमार अविनाश 'केसर'
दलित साहित्यकार कैलाश चंद चौहान की साहित्यिक यात्रा : एक वर्णन
दलित साहित्यकार कैलाश चंद चौहान की साहित्यिक यात्रा : एक वर्णन
Dr. Narendra Valmiki
రామ భజే శ్రీ కృష్ణ భజే
రామ భజే శ్రీ కృష్ణ భజే
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
आज पर दिल तो एतबार करे ,
आज पर दिल तो एतबार करे ,
Dr fauzia Naseem shad
सुप्रभात
सुप्रभात
Rituraj shivem verma
बलदेव छठ
बलदेव छठ
Mahesh Jain 'Jyoti'
बहर- 121 22 121 22
बहर- 121 22 121 22
Neelam Sharma
वो अपने दर्द अपनी पीड़ा में ही उलझे रहे
वो अपने दर्द अपनी पीड़ा में ही उलझे रहे
Sonam Puneet Dubey
सिया सिया करते-करते
सिया सिया करते-करते
Baldev Chauhan
हाथों ने पैरों से पूछा
हाथों ने पैरों से पूछा
Shubham Pandey (S P)
चार दिन की ज़िंदगी
चार दिन की ज़िंदगी
कार्तिक नितिन शर्मा
मुक्तक
मुक्तक
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
परम लक्ष्य
परम लक्ष्य
Dr. Upasana Pandey
चाँद...
चाँद...
ओंकार मिश्र
आसन
आसन
ज्योति
कैसे पड़े हैं प्रभु पाँव में छाले
कैसे पड़े हैं प्रभु पाँव में छाले
Er.Navaneet R Shandily
क्षितिज के पार है मंजिल
क्षितिज के पार है मंजिल
Atul "Krishn"
Loading...