हरिक बूंद में इश्क बरसा रहा है!!
रिमझिम बरसता है सावन जनेजां
बूंद बूंद में ख्याल तिरा है जानेजां
तेरी नजर में नशा जैसे कि भांग का
बरसा रहा है इश्क मुझपे ये आसमां।
गीत
नया सा सलीका डगर है मोहब्बत
न पूछो मिरा दिल कहां जा रहा है।
अभी तो गगन ने इजाजत दिया है
हरिक बूंद में इश्क बरसा रहा है।
नया सा सिफारिश मिरा दिल किया है
सफ़र है मोहब्बत गगन वो बना है
हुई आंख ठंडी फिजाएं महकता
मिली जो निगाहें चमन वो बना है।
बरस जा रि सावन ईश्क का बूंद बनकर
हमारा तुम्हारा मोहब्बत नया है।
अभी तो गगन ने इजाजत दिया है
हरिक बूंद में इश्क बरसा रहा है।
अभी तो गगन ने ….
©®दीपक झा रुद्रा
सुष्मिता सिंह मेरी हित प्रेयसी को समर्पित ।
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