हरा हो गया ।
मन की निर्मल तरंगों से तर्पण करें
जब भी अर्पण करें दिल का दर्पण करें
वाटिका से चुने कुछ सुमन शब्द के
आइए उनको सादर समर्पण करें ।
आज उनका गया अपना कल हो गया
उस गरल पान से सब नवल हो गया
चूमकर जिसने फाँसी का फंदा कहा
जन्म लेना हमारा सफल हो गया ।
गोद सूनी हुई कितने तारे गए
कितने बचपन के सर से सहारे गए
आज ममता के दिल मे यही दर्द था
एक ही लाल केवल हमारे गए ।
श्वेत से प्रेम पाकर बड़ा हो गया
हर कुँवर केशरी ले खड़ा हो गया
तीन रंगों में अपना तिरंगा बाना
जब सफलता मिली तो हरा हो गया ।