हरदम मिलती मात है
हर दम मिलती मात हैं
******************
पल दो पल की बात है,
होने वाली रात है।
समझो कीमत वक्त की,
खाली दोनों हाथ है।
कीमत कब है जानता,
ख़तरे में जज़्बात हैं।
गैरों से मिलती वफ़ा,
अपने देते घात है।
मनसीरत परखा जगत,
हर दम मिलती मात है।
*******************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)