हरजाई
तेरी जानिब से हम तेरे कूचे में निकल आए
उस चिलमन के पीछे से तेरा दीदार हुआ
झुकी नजरें सुर्ख लब कुछ फड़फड़ाते हुए
गालों की लाली से थोड़ा शर्माते हुए
कयामत ढा रही थी और हम आबाद हुए
तेरी उल्फत पे हम जांनिसार हुए
तेरी बेवफाई में हम बर्बाद हुए
नजरें उठाकर तो कह देतीं अय हसीना
हम तुम्हारे काबिल नहीं हैं
सच कहते हैं दिल चीर कर तुम्हें दिखा देते
गर तुम हमें चाहतीं तो बात कुछ और होती
तुमने गैर को चाह कर सजा हमें दे दी
मोहब्बत की महफिल भी सजाई तुमने
परवाने को शमा बन जलाया तुमने
ओम जलकर खाक हुआ जाता है
मेरे हमदम अलविदा तुझको
ओम प्रकाश भारती ओम्