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24 Oct 2023 · 1 min read

हयात कैसे कैसे गुल खिला गई

गुलों में रंग जो न थे वो रंग भी दिखा गई
हयात कैसे-कैसे गुल हयात में खिला गई

तड़प, कराह, बेबसी में कट गई है ज़िन्दगी
मैं हँस सका न आज तक ये किस तरह रुला गई

मेरे ही साथ क्यों हुए ये हादसे भी बार-बार
कि बारहा हवा मेरे चिराग़ को बुझा गई

तेरी दवा से फ़ायदा तो ख़ूब है मुझे मगर
इलाज की अदा तेरी मरज़ मेरा बढ़ा गई

अजल! तेरा मैं शुक्रिया अदा करूँ तो किस तरह
ग़ुलाम था हयात का नजात तू दिला गई

शिवकुमार बिलगरामी

Language: Hindi
1 Like · 216 Views

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