हम ख़ंजर नहीं रखते
हम ख़ंजर नहीं रखते दिल पर कलम रखते हैं
शब्द निकले दिल से तलवार- म्यान रखते हैं
बयां ओर अल्फ़ाजे-वफ़ा क्या करे अब ज़नाब
गुलशन-ए-दिल में मुकम्मल एक जहां रखते हैं।।
मधुप बैरागी
हम ख़ंजर नहीं रखते दिल पर कलम रखते हैं
शब्द निकले दिल से तलवार- म्यान रखते हैं
बयां ओर अल्फ़ाजे-वफ़ा क्या करे अब ज़नाब
गुलशन-ए-दिल में मुकम्मल एक जहां रखते हैं।।
मधुप बैरागी