हम हैं भारतवासी
विधा – गीत
मात्राभार – 16+12 = 28
सीधे सच्चे दिल के अच्छे, हम हैं भारतवासी।
रग-रग में है गंगा यमुना, घर-घर में है काशी।
इक दूजे के सुख-दुख में सब, साथ साथ रहते हैं।
दर्द खुशी जो भी आती है, हँसकर सब सहते हैं।
एक पंक्ति में भोजन करते, मुल्ला अरु संन्यासी।
रग-रग में है गंगा यमुना, घर-घर में है काशी।
जाति धर्म सब भिन्न-भिन्न है, भिन्न-भिन्न है बोली।
साथ मनाते हैं सब मिलकर, ईद, दशहरा, होली।
उत्तर, दक्षिण, पूरब, पश्चिम, बंगाली मद्रासी।
रग-रग में है गंगा यमुना, घर-घर में है काशी।
अब्दुल या आजाद, भगत हों, देशभक्त कहलाते।
मातृभूमि की रखवाली में, जो भी शीश चढ़ाते।
जहाँ देशहित वीर बांकुरे, गले लगाते फांसी।
रग-रग में है गंगा यमुना, घर-घर में है काशी।
(स्वरचित मौलिक)
#सन्तोष_कुमार_विश्वकर्मा_सूर्य
तुर्कपट्टी, देवरिया, (उ.प्र.)
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