हम ही अछूत क्यों
हम ही अछूत क्यों
मेरे पुर्वजों ने
खाया मांस अभाव में
जो तुमने
ठहरा दिए अछूत
तुम करवाते रहे संपन्न
वो अनुष्ठान
जिनमें दी गई
निरिह जानवरों की बलि
लेते रहे दक्षिणा
बिना मेहनत किए
करते रहे जीवन यापन
कभी नहीं हुए अछूत
तुम राजसी ठाठ-बाठ
जताने के लिए
करते रहे शिकार
निरिह जानवरों का
मारते रहे
खाते रहे निरिह जानवर
करके शिकार
कभी नहीं हुए अछूत
ताकि चल निकले
तुम्हारा व्यापार
इस प्रयोजन से
कराते रहे अनुष्ठान
देते रहे बलि
बकरे, मुर्गों और भैंसों की
कभी नहीं हुए अछूत
फिर हम ही अछूत
क्यों????
-विनोद सिल्ला©